Japan News : जापान फुकुशिमा दाइची Nuclear Plant से उपचारित रेडियोधर्मी अपशिष्ट जल वीरवार से प्रशांत महासागर में छोड़ना शुरू करेगा। यह एक विवादित किंतु सुनामी से 12 साल पहले क्षतिग्रस्त हुए संयंत्र को बंद करने की दिशा में दशकों तक चलने वाले कार्य के लिए एक आवश्यक कदम है। देश के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने योजना में शामिल कैबिनेट मंत्रियों की बैठक में मंगलवार को इस कार्य के लिए मंजूरी दी और ‘तोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी होल्डिंग्स’ को निर्देश दिया कि यदि मौसम और समुद्री परिस्थितियां अनुकूल रहती हैं, तो वह बृहस्पतिवार को जल छोड़ना शुरू करे।
किशिदा ने बैठक में कहा कि 11 मार्च, 2011 के बाद हुई आपदा के बाद Plant को पूरी तरह बंद करने की दिशा में पानी छोड़ा जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सुरक्षा सुनिश्चित करने, मत्स्य पालन क्षेत्र की प्रतिष्ठा को हो सकने वाली क्षति को रोकने के लिए और देश के भीतर एवं बाहर वैज्ञानिक स्पष्टीकरण एवं पारदर्शिता मुहैया कराने के लिए हर संभव कोशिश की है। किशिदा ने संकल्प लिया कि सरकार पानी छोड़े जाने और संयंत्र बंद करने की दशकों की प्रक्रिया के दौरान ये प्रयास जारी रखेगी।
मंत्रिस्तरीय बैठक में निर्णय
मंगलवार की सुबह एक मंत्रिस्तरीय बैठक हुई थी, जिसमें यह निर्णय लिया गया है। दरअसल, साल 2011 में आए भीषण भूकंप और सुनामी के बाद से साइट पर बड़ी मात्रा में पानी जमा है। साल 2021 में तत्कालीन पीएम योशीहिदे सुगा ने प्रशांत महासागर में पानी छोड़ने की मंजूरी दी थी। वहीं, वर्तमान प्रशासन ने जनवरी में घोषणा की थी कि योजना वसंत से गर्मी के बीच किसी समय लागू की जाएगी।
इसलिए लिया गया फैसला
इससे पहले, जुलाई में अंतरराष्ट्रीय Nuclear Plant एजेंसी (आईएईए) ने बताया था कि जापान की योजना वैश्विक सुरक्षा मानकों के अनुरूप है और इसका लोगों और पर्यावरण पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। इसके बाद ही सरकार ने फैसला लिया कि पानी छोड़ा जा सकता है। जबकि कई यूरोपीय देशों ने जापानी भोजन पर आयात प्रतिबंधों में ढील दी है, वहीं, चीन ने अपने पड़ोसी के समुद्री खाद्य निर्यात पर परीक्षण शुरू किया है। इससे राजनयिक तनाव पैदा हो गया है।
क्यों हो रहा विरोध
जानकारी के अनुसार, चीन बहुत समय से समुद्र में पानी छोड़ने का विरोध कर रहा है। इसके अलावा, जापान की योजना की खुद जांच करने के बाद दक्षिण कोरियाई सरकार ने कहा कि वह आईएईए समीक्षा के निष्कर्षों का सम्मान करती है। वहीं, जापान मे स्थानीय मछुआरों ने पानी छोड़ने के प्रस्ताव का विरोध किया है क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनके समुद्री भोजन की प्रतिष्ठा को और नुकसान होगा। उनका तर्क है कि आपदा के बाद ग्राहकों में विश्वास जगाने के लिए पहले ही कई वर्ष लग चुके हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने मछली पकड़ने वाले समुदाय की चिंताओं के मद्देनजर सितंबर में फुकुशिमा में ट्रॉल मछली पकड़ने के मौसम शुरू होने से पहले उपचारित पानी छोड़ने का फैसला किया है।