Bihar Caste Census : Bihar की जाति आधारित जनगणना की 2 अक्टूबर को जारी रिपोर्ट के बाद आरक्षण को लेकर बहस बढ़ी हुई है। ऐसे में मंगलवार को जब इसके आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट आयी तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। जानें क्या है इस रिपोर्ट में।
Bihar Caste Census : Bihar विधनासभा में शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन नीतीश सरकार ने जातिगत जनगणना की रिपोर्ट जारी की. जिसमें आर्थिक और शैक्षणिक आंकड़ों के बारे में सरकार ने सदन को बताया. रिपोर्ट में बताया कि बिहार में अनुसूचित जनजाति के 42.70 फीसदी परिवार गरीब हैं. सामान्य वर्ग में गरीब लोगों की तादाद 29.9 प्रतिशत है. इनमें सबसे ज्यादा भूमिहार और ब्राम्हाण परिवार के लोग हैं. वहीं, शिक्षा की बात करें तो पूरे राज्य में सिर्फ 7 प्रतिशत लोग ही ग्रेजुएट हैं. इस रिपोर्ट को पेश करने के दौरान सदन में जमकर हंगामा हुआ.
सामान्य वर्ग की बात करें तो रिपोर्ट के मुताबिक सामान्य वर्ग में सबसे अधिक गरीब भूमिहार समाज के लोग हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 27.58 फीसदी भूमिहार परिवार गरीब हैं, वहीं ब्रह्मणों में 25 .32 फीसदी परिवार गरीब हैं जबकि राजपूतों में गरीबी की बात करें को 24.89 फीसदी गरीब परिवार हैं. 13.83 फीसदी कायस्थ परिवार गरीब हैं तो वहीं शेख में 25.84 फीसदी, पठान (खान) में 22 .20 फीसदी, सैयद में 17.61 फीसदी गरीब परिवार हैं. कुल मिलाकर सामान्य वर्ग में 25.9 फीसदी परिवार गरीब हैं.
Bihar में जातिगत गणना रिपोर्ट आने के बाद सवर्णों की दो बड़ी जातियां ब्राह्मण और ठाकुर यानी राजपूत में राजनीतिक भागीदारी को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. पिछले दिनों संसद के विशेष सत्र के दौरान इसकी कमोबेश झलक देखी गई थी.
मालूम हो कि हाल में ही बिहार की नीतीश सरकार ने जातिगत सर्वे रिपोर्ट के आंकड़े जारी किए हैं. इसके अनुसार, बिहार में राजपूत की आबादी 3.45 प्रतिशत, भूमिहार 2.86 प्रतिशत, कायस्थ 0.60 प्रतिशत और ब्राह्मण 3.65 फीसदी है. चारों अगड़ी जातियों की आबादी इकाई में ही है. अगर लोकसभा में जातियों के आधार पर भागीदारी की बात करें तो देखेंगे कि सवर्णों में आने वाली जातियां राजपूत के 7, भूमिहार के 3, ब्राह्मण के 2, अति पिछड़ा वर्ग के 7, एससी वर्ग से 6, यादव जाति से 5, कुशवाहा से 3, वैश्य से 3, कुर्मी और कायस्थ 1-1 और 2 मुस्लिम सांसद चुन कर आए हैं.