पाकिस्तान में राजनीतिक बवाल का दौर जारी है. पूर्व पीएम इमरान खान तोशाखाना केस में जेल पहुंच गए हैं तो दूसरी ओर राष्ट्रपति आरिल अल्वी ने बुधवार आधी रात में संसद भंग कर दी है. अब आम चुनावों को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है.
भारत में एक तरफ जहां प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर सदन में बहस चल रही है। वहीं दूसरी तरफ पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी चल रहे राजनीतिक उठापटक के बीच मौजूदा संसद को भंग कर दिया गया है। आधी रात अचानक इस बात का फैसला लिया गया। ऐसे में पाकिस्तानी संविधान के अनुसार अगले तीन माह में पाकिस्तान चुनाव हो सकते हैं।
संसद के निचले सदन नेशनल असेंबली को पांच साल कासंवैधानिक कार्यकाल पूरा होने से तीन दिन पहले ही भंग कर दिया गया है। इसके साथ ही शहबाज शरीफ सरकार का कार्यकालभी समाप्त हो गया। शहबाज शरीफ ने राष्ट्रपति अल्वी को पत्र लिखकर संसद को भंग करने की सिफारिश की थी। आर्टिकल 58 के तहत अगर राष्ट्रपति संसद भंग करने के लिए प्रधानमंत्री की सिफारिश के 48 घंटे के भीतर असेंबली को भंग नहीं करते हैं तो यह स्वत: ही भंग हो जाएगी।
इमरान खान के चुनाव लड़ने पर रोक
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को तोशाखाना भ्रष्टाचार केस में 3 साल की सजा सुनाई गई है. फिलहाल वह जेल में बंद हैं और इसकी उम्मीद कम लग रही है कि वह चुनाव लड़ पाएंगे. कोर्ट ने 5 साल के लिए उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है. हालांकि पाकिस्तान की राजनीति में शीर्ष नेताओं का जेल जाना हो या दूसरे देश में शरण लेना, यह सब काफी आम रहा है. नवाज शरीफ भी निर्वासन और जेल दोनों झेल चुके हैं जबकि बेनजीर भुट्टो को भी लंबा अरसा जेल में बिताना पड़ा था और फिर वतन के बाहर रहना पड़ा था.
तीन दिन में अंतरिम प्रधानमंत्री
संविधान से तहत शहबाज शरीफ और नेशनल असेंबली में नेता प्रतिपक्ष के पास केयरटेकर प्रधानमंत्री के नाम को अंतिम रूप देने के लिए तीन दिन का समय है। अगर केयरटेकर प्रधानमंत्री के लिए किसी नाम पर सहमति नहीं बन पाती है तो असेंबली स्पीकर द्वारा गठित समिति के समक्ष इस मामले को भेजा जाएगा। यह समिति तीन दिनों के भीतर अंतरिम प्रधानमंत्री के नाम पर मुहर लगाएगी।
लेकिन अगर समिति भी तय समय के भीतर कोई फैसला नहीं ले पाती है तो अंतरिम पीएम के दावेदार लोगों के नाम को चुनाव आयोग के पास भेजा जाएगा। चुनाव आयोग दो दिनों के भीतर इस पर अंतिम फैसला लेगी।
तीन महीने में दूसरी बार संसद किया भंग
बता दें कि यह दूसरी बार है, जब राष्ट्रपति अल्वी ने नेशनल असेंबली को भंग किया है। इससे पहले वह पिछले साल अप्रैल में तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान की सिफारिश पर भी संसद को भंग कर चुके हैं। लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उनके फैसले को पलट दिया था।