Doctors ने एक सुअर की किडनी को एक brain-dead व्यक्ति के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जिसके बाद चौंका देने वाले रिजल्ट सामने आए। हैरान वाली बात यह है कि ट्रांसप्लान के एक महीनें के बाद बी सूअर की किडनी मानव शरीर में सामान्य रूप से काम कर रही है। जिससे अब एक्सपर्ट का मानना है कि यह मानव रोग से लड़ने के लिए जानवरों के ऊतकों और अंगों का उपयोग करने की संभावना के करीब पहुंच गया।
Doctors को अबतक लग रहा है कि यह सच में मानव अंग (human organ) की तरह काम कर रही है। एनवाईयू लैंगोन ट्रांसप्लांट इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. रॉबर्ट मोंटगोमरी ने कहा कि 14 जुलाई को उनकी टीम ने एक मृत व्यक्ति की किडनी को आनुवंशिक रूप से संशोधित (genetically modified) सुअर की सिंगल किडनी से बदल दिया था।
Doctors ने देखा कि किडनी ने फौरन यूरीन पैदा करना शुरू कर दिया। डॉक्टरों का मानना है कि भविष्य में सुअर की किडनियों को गंभीर रूप से बीमार मरीजों में प्रत्यारोपित किया जा सकेगा। यह ट्रांसप्लांट की जाने वालीं किडनियों की कमी को भी पूरा करेगी।
रिपोर्ट के अनुसार, न्यू यॉर्क के रहने वाले मौरिस “मो” मिलर 57 साल की उम्र में ब्रेन कैंसर के कारण अचानक ब्रेन डेड हो गए। परिवार ने उनका शरीर दान कर दिया। उनके परिवार का कहना है कि मौरिस हमेशा से ही दूसरों की मदद करना चाहते थे। भविष्य में मेडिकल से जुड़ी किताबों में स्टूडेंट्स उनके बारे में पढ़ेंगे।
एनिमल-टु-ह्यूमन ट्रांसप्लांट के प्रयास कई दशकों से हो रहे हैं। डॉक्टरों को ज्यादातर बार इसमें नाकामयाबी मिली है। अब रिसर्चर्स जेनेटिकली मॉडिफाइड सुअरों का इस्तेमाल इंसानी शरीर में ट्रांसप्लांटेशन के लिए कर रहे हैं। इसमें उन्हें कुछ सफलता मिली है। अमेरिका का फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन यह विचार कर रहा है कि क्या कुछ गंभीर रोगियों में सुअर का हार्ट और किडनी ट्रांसप्लांट करने की मंजूरी दी जाए। हालांकि अभी कोई फैसला नहीं हो पाया है।