Neuralink : 2030 तक हजारों लोगों पर Brain chip इंप्लांट करना है. इस चीप को शरीर में डालने के बाद आसपास मौजूद लैपटॉप, टैबलेट और अन्य गैजेट तक वायरलेस कनेक्टिविटी के जरिए कमांड दिया जा सकता है.
Neuralink : Elon Musk अब Human Brain को लेकर नई क्रांति करने जा रहे हैं. इसमें Human Brain में एक चिप लगाई जाएगी. इसके लिए वह पहले ही एक कंपनी तैयार कर चुके हैं, जिसका नाम Neuralink है. Media Reports के मुताबिक, Elon Musk के स्टार्टअप Neuralink को अमेरिकी एजेंसी FDA की तरफ से ह्यूमन ट्रायल को लेकर क्लीन चिट मिल गई है. आने वाले सप्ताह के अंदर वह ट्रायल भी शुरू कर सकेगा.
Elon Musk’s company “Neuralink” is looking for a volunteer to have a piece of their skull cut open by a robotic surgeon so it can insert thin wires and electrodes into their brain. pic.twitter.com/JEP50u2ns8
— Daily Loud (@DailyLoud) November 8, 2023
Neuralink कैसे काम करती है ?
Musk का स्टार्टअप Neuralink Human Brain के साथ एक चिप इंप्लांट करेगा. अभी यह ट्रायल के तौर पर शुरू होगा. गौर करने वाली बात यह है कि हजारों लोगों ने अपने ब्रेन में न्यूरालिंक चिप को इंप्लांट कराने की इच्छा जाहिर की है. ये लोग ट्रायल में बतौर वॉलेंटियर्स का काम करेंगे. Neuralink के क्लिनिकल ट्रायल के तहत, सर्जरी करके इंसानी दिमाग पर एक ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) को इंप्लांट किया जाएगा. इससे वह चिप मूवमेंट और इंटेंशन को रिसीव करेगा. इसके बाद वह उन कमांड को आगे सेंड करेगा. इसके बाद उस चिपसेट के साथ कंपेटेबल डिवाइस उन कमांड को रिसीव करेंगे और आगे काम करेंगे. Neuralink ने बताया कि शुरुआती स्टेज में उसका मकसद कंप्यूटर कर्सर और कीबोर्ड को कंट्रोल करना है. यह कंट्रोल कमांड सीधे दिमाग में फिट की गई चिपेसट से मिलेगी.
पहले जानवरों पर किया था ट्रायल
अमेरिकी एजेंसी FDA ने ह्यूमन ट्रायल को लेकर एलन की कंपनी Neuralink मंजूरी दे दी है इसे लेकर कंपनी अब आने वाले कुछ दिनों में वॉलंटियर्स पर ट्रायल शुरू करेगी. हालांकि अभी यह ट्रायल कुछ लोगों पर ही किया जाएगा. लेकिन साल 2030 तक कंपनी ने लक्ष्य निर्धारित किया है कि 2030 तक करीब 22 हजार ह्यूमन ब्रेन में इस चिप का इंस्टॉल कर दिया जाए. आपको बता दें, एलन मस्क ने अपनी इस कंपनी Neuralink की शुरुआत साल 2016 में की थी. मस्क की यह कंपनी पिछले कुछ महीनों पहले नियम के उल्लंघन करने को लेकर काफी सुर्खियां बटोर चुकी है. दरअसल, कई एजेंसियों ने दावा किया था कि कंपनी ने अपने डिवाइस की टेस्टिंग के लिए जानवारों का गलत तरीके से इस्तेमाल किया. एक हैरान करने वाला आंकड़ा सामने आया था जिसमें कंपनी ने 2018 से लेकर अबतक करीब 1500 जानवरों को ब्रेन चिप इंप्लांट के ट्रायल में मार दिया है.