Uttarkashi Tunnel Rescue Successful : Uttarkashi की टनल में पिछले 17 दिनों से फंसे हुए सभी 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है।
Uttarkashi Tunnel Rescue Successful : Uttarkashi के सिल्क्यारा सुरंग में आज 17वें दिन बड़ी सफलता टीम को मिली है। 400 घंटे के बाद मंगलवार रात करीब 7:30 बजे मजदूरों को निकालने की प्रक्रिया शुरू हुई। करीब 8:45 बजे तक सभी 41 मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। सुरंग से बाहर आए सभी मजदूरों को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पहले माला पहनाकर स्वागत किया। इसके बाद सीएम धामी ने मजदूरों से काफी देर तक बात कर उनका हालचाल जाना। सुरंग से बाहर आए पहले मजदूर को तैनात ऐंबुलेंस के जरिये चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां जहां 41 बिस्तरों का एक अलग वार्ड बनाया गया है।
President Droupadi Murmu Tweet
I feel relieved and happy to learn that all the workers trapped in a tunnel in Uttarakhand have been rescued. Their travails over 17 days, as the rescue effort met with obstacles, have been a testament of human endurance. The nation salutes their resilience and remains grateful…
— President of India (@rashtrapatibhvn) November 28, 2023
PM Narendra Modi Tweet
उत्तरकाशी में हमारे श्रमिक भाइयों के रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता हर किसी को भावुक कर देने वाली है।
— Narendra Modi (@narendramodi) November 28, 2023
टनल में जो साथी फंसे हुए थे, उनसे मैं कहना चाहता हूं कि आपका साहस और धैर्य हर किसी को प्रेरित कर रहा है। मैं आप सभी की कुशलता और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।
यह अत्यंत…
टनल रेस्क्यू ऑपरेशन में बड़ी सफलता: सीएम धामी
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एक्स पर लिखा है कि ‘सिलक्यारा टनल में चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में बड़ी सफलता मिली है, पाइप पुशिंग का कार्य मलबे के आर-पार हो चुका है। अब श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने की तैयारी शुरू कर दी गई है’।
बाबा बौख नाग जी की असीम कृपा, करोड़ों देशवासियों की प्रार्थना एवं रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे सभी बचाव दलों के अथक परिश्रम के फलस्वरूप श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए टनल में पाइप डालने का कार्य पूरा हो चुका है। शीघ्र ही सभी श्रमिक भाइयों को बाहर निकाल लिया जाएगा।
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) November 28, 2023
Rat Mining तकनीक का इस्तेमाल किया गया. 2018 में मेघालय की खदान में 15 मजदूर फंस गए थे, तब रैट माइनिंग से उन्हें बचाया गया था.
Union Minister Nitin Gadkari Tweet (X)
सिल्क्यारा टनल बचाव कार्य में शामिल सभी का धन्यवाद। #SilkyaraTunnelRescue pic.twitter.com/H8r0JsRELY
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) November 28, 2023
Union Minister Nitin Gadkari ने ट्वीट (X) किया, “मैं पूरी तरह से राहत महसूस कर रहा हूं और खुश हूं क्योंकि सिल्कयारा टनल हादसे में फंसे 41 मजदूरों को सफलतापूर्वक बचा लिया गया है।
Anurag Thakur Tweet (X)
Rat Mining क्या है?
वैसे तो ये कोई पुख्ता तकनीक नहीं है, फिर भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. पूर्वोत्तर के राज्य मेघालय में सबसे अधिक रैट माइनिंग होती है. वजह है यहां जमीन के अंदर दबा खनिज का भंडार. यहां के लोग व्यक्तिगत स्तर पर रैट माइनिंग करते हैं. यानी खुद से रैट होल बनाकर संकरी सुरंगों के अंदर घुसते हैं और खनिज निकाल के लाते हैं. इन रैट होल्स में न खड़े होने की जगह होती है न बैठने की, इसलिए इसमें रेंग कर आना-जाना पड़ता है. अगर बारिश आई तो इन सुरंगों में पानी भरने की वजह से मजदूर अंदर ही फंस जाते हैं.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने 2014 में रैट-होल खनन पर प्रतिबंध लगा दिया, और 2015 में प्रतिबंध बरकरार रखा. यह बैन अवैज्ञानिक और श्रमिकों के लिए असुरक्षित होने के आधार पर लगाया गया था. एनजीटी का आदेश न केवल रैट-होल खनन, बल्कि सभी “अवैज्ञानिक और अवैध खनन” पर प्रतिबंध लगाता है. मेघालय में जयंतिया पहाड़ियों के इलाके में बहुत सी गैरकानूनी कोयला खदाने हैं. पहाड़ी इलाका होने के चलते यहां मशीनों से काम लेना काफी मुश्किल है, क्योंकि उन्हें ऊपर चढ़ाना ही संभव नहीं होता. इसीलिए सीधे मजदूरों से काम लेना ज्यादा आसान होता है. चूंकि, वे रैट्स यानी चूहों की तरह इन खदानों में घुसते हैं, इसलिए इसे ‘रैट माइनिंग’ कहा जाता है. 2018 में मेघालय की खदान में 15 मजदूर फंस गए थे, तब इसी रैट माइनिंग से उन्हें बचाया गया था.