Chandrayaan-3 : ISRO के अध्यक्ष S. Somnath ने रविवार को बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा, Chandrayaan-3 स्पेसक्राफ्ट को बनाने के दौरान अमेरिका के रॉकेट डेवेलपमेंट मिशन में शामिल वैज्ञानिकों ने स्पेस टेक्नोलॉजी बेचने को कहा था
Chandrayaan-3 : ISRO के अध्यक्ष S. Somnath ने रविवार को कहा कि अमेरिका में जटिल रॉकेट मिशन में शामिल विशेषज्ञों ने जब चंद्रयान-3 अंतरिक्षयान को विकसित करने की गतिविधियों को देखा तो India को सुझाव दिया कि वे उनसे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी साझा करें. उन्होंने रामेश्वरम में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि वक्त बदल गया है और भारत बेहतरीन उपकरण और रॉकेट बनाने में सक्षम है, यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोला है.
S. Somnath रविवार को दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे.अब्दुल कलाम आजाद की 92वीं जयंती के उपलक्ष्य में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, हमारा देश बहुत शक्तिशाली राष्ट्र है. आप समझ गए? ज्ञान और बुद्धिमत्ता के स्तर के लिहाज से हमारा देश दुनिया के सर्वश्रेष्ठ देशों में से एक है.
Chandrayaan-3 मिशन के लिए नासा-जेपीएल के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया था
ISRO प्रमुख ने कहा, Chandrayaan-3 मिशन के लिए जब हमने अंतरिक्ष यान को डिजाइन और विकसित किया, तो हमने जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला, नासा-जेपीएल के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया, जो सभी रॉकेट और सबसे कठिन मिशन पर काम करते हैं. उन्होंने कहा, नासा-जेपीएल से लगभग पांच-छह लोग आए और हमने उन्हें Chandrayaan-3 के बारे में समझाया. यह सॉफ्ट लैंडिंग (23 अगस्त को) होने से पहले की बात है.
American space experts ने पूछ रहे थे इसे कैसे बनाया?
Somnath ने कहा, उन्होंने एक बात यह भी कही, वैज्ञानिक उपकरणों को देखो, वे बहुत सस्ते हैं. इन्हें बनाना बहुत आसान है और ये उच्च तकनीक वाले हैं. आपने इसे कैसे बनाया? वे पूछ रहे थे, आप इसे अमेरिका को क्यों नहीं बेच देते?.
India में सर्वोत्तम उपकरण और सर्वोत्तम रॉकेट बनाने में सक्षम हैं
ISRO चीफ ने कहा, तो आप समझ सकते हैं कि समय कितना बदल गया है. हम भारत में सर्वोत्तम उपकरण और सर्वोत्तम रॉकेट बनाने में सक्षम हैं. यही कारण है कि हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र को खोल दिया है. उन्होंने कहा कि भारत ने 23 अगस्त को चंद्रयान-3 के लैंडर ने चंद्रमा की सतह के दक्षिणी ध्रुव को सफलतापूर्वक छुआ, जिससे वह अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद चंद्रमा पर उतरने की उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन गया.