China में नमक के लिए मारामारी की स्थिति है। Social Media पर भी ऐसे कई Video सामने आ रहे हैं जिनमें लोग भारी मात्रा में नमक(Salt) खरीदते हुए दिख रहे हैं। बताया जा रहा है कि नमक की कीमतों में 300 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। हालात ऐसे बने कि China Salt Association को सामने आना पड़ा। लोगों से शांत रहने की अपील करनी पड़ी और चीन ने जापान से आने वाले सीफूड पर भी बैन लगा दिया है।
आखिर अचानक ऐसा क्या हो गया
Japan अपने Fukushima न्यूक्लियर पावर प्लांट से निकले पानी को Pacific Ocean यानी प्रशांत महासागर में छोड़ रहा है।साल 2011 में Japanमें 9 की तीव्रता का भूकंप आया था और भूकंप के बाद आई थी सुनामी।इस सुनामी से Fukushima plant तबाह हो गया था। इस तबाही के बाद Plant के मलबे को हटाने का एक अभियान शुरु किया गया।लेकिन जितना मुश्किल होता है परमाणु प्लांट को बनाना उतना ही मुश्किल होता है इसके मलबे को हटाना ,इस काम में कई साल तक लग जाते हैं। Media Report बताती हैं कि Fukushima plant के मलबे को हटाने में 30 साल से भी अधिक का वक्त लग सकता है। अब Fukushima plant में जमा पानी को समंदर में छोड़ा जा रहा है।परमाणु बिजलीघर में रिएक्टर के कोर को ठंडा करने के लिए ताजा पानी की जरूरत होती है. इसलिए परमाणु बिजलीघरों में हमेशा पानी वाली जगह के पास बनाया जाता है. Fukushima plant को भी प्रशांत महासागर के पास बनाया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक यहां करीब 170 टन पानी की रोजाना जरूरत होती थी, लेकिन कोर को ठंडा करने के दौरान ये पानी रेडियोएक्टिव हो जाता है। इस पानी को प्लांट के स्टोरेज टैंक में जमा किया जाता है.
JAPAN का प्रशान्त महासागर में बहाने का फैसला
Fukushima plant में 1046 स्टोरेज टैंक हैं। इनमें 1343 मिलियन क्यूबिक टन पानी स्टोर किया जा सकता है। अब प्लांट बंद है, इसमें करीब 13 लाख टन पानी स्टोर है। ये पानी इतना है कि ओलंपिक के करीब 500 स्विमिंग पूल्स को इससे भरा जा सकता है। अब जापान ने इस रेडियो एक्टिव पानी को प्रशांत महासागर में बहाने का फैसला किया है। प्लांट के मलबे को हटाने का काम कर रही कंपनी टेपको, पानी को समुद्र में डालने से पहले फिल्टर कर रही है, ऐसा इसलिए ताकि समुद्र में रेडियोएक्टिविटी न फैल जाए। इस पानी को कितना भी फिल्टर कर लिया जाए लेकिन ट्राइटियम को इससे अलग करना संभव नहीं है।
Japan की सरकार ने टेपको कंपनी से कहा है कि वो ट्राइटियम की मात्रा को एक निश्चित स्तर से नीचे कर दे, इसी शर्त पर टेपको को ये पानी समुद्र में छोड़ने की इजाजत दी गई है। अब ये ट्राइटियम इतना खतरनाक है कि इससे इंसानों को कैंसर जैसी बीमारी भी हो सकती है, साथ ही समुद्री जीव-जंतुओं को भी इससे बड़ा खतरा हो सकता है। जापान की सरकार के अलावा यूएस की ओर से भी पानी समंदर में छोड़ने के लिए हरी झंडी मिल चुकी है। अब इस बात का विरोध कई पर्यावरणविद कर रहे हैं। कई का ऐसा मानना है कि इससे समंदर को उसकी जीव जंतुओं को बड़ा खतरा हो सकता है।चीन और दक्षिण कोरिया को डर है कि इसमें रेडियोएक्टिव विकिरण हो सकते हैं, जिससे रेडिएशन फैल सकता है। चूंकि इसी समुद्र के पानी का इस्तेमाल करके चीन अपने यहां नमक बनाता है। इसलिए नमक को लेकर खतरा और बढ़ गया है. जैसे ही यह खबर लोगों को हुई, उन्हें नमक से रेडिएशन का खतरा नजर आने लगा। इस वजह से वे तुरंत नमक की बोरियां खरीदने बाजार पहुंच गए।
Global Times ने भी स्वीकारा
China के मुखपत्र कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, China Salt की ओर से बयान जारी किया गया। सरकारी कंपनी ने स्वीकार किया कि लोग घबराकर खरीदारी कर रहे हैं, जिसकी वजह से नमक भंडार और स्टोर्स में Salt की कमी हो गई है। लेकिन इसे जल्द दूर कर लिया जाएगा। कंपनी ने लोगों से पैनिक होकर खरीदारी न करने को कहा।